मोहित त्यागी
- प्रयागराज महाकुम्भ में गूंजेगी बांग्लादेश और पाकिस्तान सहित सम्पूर्ण विश्व के हिन्दुओं की पीड़ा –डॉ उदिता त्यागी (मुख्य संयोजक विश्व धर्म संसद)
- अपमान, हताशा और क्रोध से भरे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को लिखा रक्त से पत्र
हरिद्वार : विश्व धर्म संसद व दस दिवसीय माँ बगलामुखी महायज्ञ के अंतिम दिन सभी उपस्थित सन्तों और भक्तों ने सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण और इस्लामिक जिहाद के समूल विनाश का संकल्प लिया। विश्व धर्म संसद में बांग्लादेश व पाकिस्तान के हिन्दुओं की रक्षा हेतु दोनों देशों में हिन्दुओं के लिये अलग देश बनवाने के लिये भारत के नेताओं पर दवाब बनाने का भी संकल्प लिया गया।
विश्व धर्म संसद के अंतिम दिन में उपस्थित सन्तों और भक्तों को सम्बोधित करते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी जी महाराज, महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी जी महाराज सहित सारी कार्यकारिणी को महाकुम्भ में मुस्लिम प्रवेश वर्जित करने के लिये साधुवाद और धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्व धर्म संसद की ओर से संत समाज से सनातन वैदिक राष्ट्र के लिये संघर्ष करने और जाति मुक्त सनातन समाज बनाने की प्रार्थना की।
विश्व धर्म संसद की मुख्य संयोजक डॉ उदिता त्यागी ने आने वाले सभी सन्तों और प्रबुद्ध सनातनियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान सहित सम्पूर्ण विश्व मे रहने वाले हिन्दू हमारा अपना ही परिवार हैं। अगर आज हम उनके लिये नहीं लड़ेंगे तो कल कोई हमारे लिये भी नहीं लड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा मंच है जहां इस बार बांग्लादेश व पाकिस्तान के हिन्दुओं के जनसंहार का मुद्दा गूंजेगा।हम वहां विश्व धर्म संसद आयोजित करके भारत के प्रधानमंत्री सहित सभी राजनेताओं पर बांग्लादेश व पाकिस्तान के हिन्दुओं के लिये अलग राष्ट्र बनाने के लिये दवाब बनाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ में इस बार सबसे बड़ा मुद्दा सनातन वैदिक राष्ट्र का निर्माण होगा। यह ऐसा राष्ट्र होगा जहां कोई भी मस्जिद, मदरसा और जिहादी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सनातन वैदिक राष्ट्र बन कर रहेगा, इसके बिना हमारे धर्म, अस्तित्व और परिवार का बचना असम्भव है।
इससे पहले दस दिवसीय माँ बगलामुखी के महायज्ञ की पूर्णाहुति के समय महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने रक्त से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को दोबारा पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने लिखा कि वो यति नरसिंहानंद गिरि शिष्य श्री महंत स्वामी हरि गिरि जी महाराज श्री पंचदसनाम जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर हैं। उनके आवाहन पर श्री पंचदसनाम नाम जूना अखाड़े के हरिद्वार स्थित मुख्यालय माया देवी मंदिर में 19, 20 और 21 दिसंबर 2024 को बांग्लादेश पाकिस्तान भारत सहित संपूर्ण विश्व में इस्लामिक जिहादियों द्वारा मारे जा रहे निर्दोष मानवों के लिए विलाप करने हेतु और बांग्लादेश व पाकिस्तान के हमारे धर्म बंधुओं के नृशंस नरसंहारों पर चर्चा हेतु विश्व धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा था। यह आयोजन सीमित संख्या में संतों और बुद्धिजीवों के साथ माया देवी मंदिर के अंदर होना था जिसके लिए किसी सरकारी अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं थी। परंतु पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर धर्म की सारी मर्यादाएं भंग करते हुए धर्म संसद को उजाड़ दिया, उन्होंने माया देवी मंदिर में लगे हुए पंडाल को उखाड़ दिया और भोजन बनाने वाले हलवाइयों को भगा दिया, आपको यह तो पता ही होगा कि देवभूमि उत्तराखंड धर्म भूमि है, आपको मां और महादेव की कृपा व अपने पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों के कारण इस भूमि के रक्षक अर्थात धर्म रक्षक की भूमिका मिली एक साधारण साधु के रूप में मां गंगा के तट पर मां बगलामुखी महायज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत यज्ञ अग्नि के सामने बैठकर वो इस रक्त पत्र के माध्यम से आपको बताना चाहते हैं कि आपके अधिकारियों का यह कृत्य घोर अधार्मिक है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश धर्म संसद की रिकॉर्डिंग का था धर्म संसद रोकने का नहीं। इस तरह से सनातन धर्म की सबसे महत्वपूर्ण संस्था के मुख्यालय में घुसकर आपके अधिकारियों ने अपनी गुंडा शक्ति का जो नंगा नाच किया है। उसका दोष सबसे ज्यादा आपको लगेगा क्योंकि इन्हें आपका ही संरक्षण प्राप्त है। उनकी बात हमेशा याद रखिए कि अपने धर्म पर आघात करने वालों को कभी क्षमादान नहीं मिलता, हम राजनीतिक रूप से अनाथ हिंदुओं का कोई और हो या ना हो पर मां और महादेव तो हैं ही। मैं सारा न्याय उन्ही पर छोड़ता हूं ।अब जो मां चाहे और जो महादेव चाहे।
यह पत्र स्पीड पोस्ट के द्वारा मुख्यमंत्री जी को भेज दिया गया है।