भारत की नौजवान गेंदबाजी इकाई को लेकर धैर्य धरने की जरूरत : गंभीर

Need to be patient with India's young bowling unit: Gambhir

  • बुमराह का वर्कलोड मैनेज करना ज़्यादा ज़रूरी है क्योंकि आगे बहुत क्रिकेट है
  • ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड व द अफ्रीका में टेस्ट में अनुभव बहुत मायने रखता है

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : जसप्रीत बुमराह के इंग्लैंड के खिलाफ पहली पारी में पांच चटकाने के बावजूद पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के लीडस खेले गए मंगलवार को खत्म हुए पहले टेस्ट में भारत को मेजबान टीम के हाथों पांच विकेट से हार झेलनी पड़ी। भारत बुमराह पहले टेस्ट में जरूरत से ज्यदा निर्भर दिखा बावजूद इसके बतौर गेंदबाज उनके वर्कलोड मैनेजमेंट और पीठ की चोट के बाद डॉक्टरों की सलाह के बाद मौजूदा टेस्ट सीरीज में तीन टेस्ट में ही खिलाने की योजना पर काबिज है। वर्कलोड मैनेजमेंट के चलते लीडस हेडिग्ले में जब इंग्लैंड को जीत के लिए दूसरी पारी में 22 रन की जरूरत थी और उसके पांच विकेट बाकी थे भारत ने दूसरी नई गेंद लेने के बावजूद बुमराह से गेंदबाजी नहीं कराई। भारत बुमराह को सीरीज के दूसरे टेस्ट में आराम दे सकता है। भारत के चीफ कोच गौतम गंभीर को भरोसा है कि उनके बाकी गेंदबाज इंग्लैंड के एक टेस्ट में दोनों पारियों में 20 विकेट चटका सकते हैं।

गंभीर ने कहा, ‘बदलाव के दौर से गुजर रही भारत की नौजवान गेंदबाजी इकाई को लेकर धैर्य धरने की जरूरत है। हमारे मौजूदा नौजवान गेंदबाज़ी आक्रमण में एक गेंदबाज़ (नीतिश रेड्डी)ने अब तक केवल पांच टेस्ट, एक (प्रसिद्ध कृष्णा) ने चार, एक (हर्षित राणा) ने दो और एक ( अर्शदीप सिह)को तो अभी भारत के लिए टेस्ट करियर का आगाज करने का इंतजार है। लीडस में सीरीज के पहले टेस्ट में प्रसिद्ध कृष्णा पहली पारी में लाइन लेग्थ को ले जूझने के कारण महंगे साबित हुए हालांकि उन्होंने दूसरी पारी में बाउंसर का बेहतर इस्तेमाल किया । हमें उन्हें समय देना होगा। पहले हमारे पास चार ऐसे तेज़ गेंदबाज़ होते थे जिनके नाम 40 से ज़्यादा टेस्ट थे। वनडे या T20 में इससे इतना फर्क नहीं पड़ता। हमें अपने गेंदबाजों को वक्त देना होगा। इससे पहले हमारे पास टीम में चार ऐसे तेज गेंदबाज हुआ करते थे जिनके पास 40 से ज्यादा टेस्ट खेलने का अनुभव था।

इसका टी 20 और वन डे में बहुत फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब आप ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट खेलने जाते हैं तो तब अनुभव काफी मायने रखता है। हमारे हमारे ज्यादातर गेंदबाज नए ही हैं। ऐसे में यदि हर टेस्ट के बाद आप अपने गेंदबाजों को आंकना शुरू कर देगे तो हम अपना गेंदबाजी आक्रमण किस तरह तैयार करेंगे? बुमराह और मोहममद सिराज को छोड़ कर हमारे पास ज्यादा अनुभवी गेंदबाज नहीं हैँ। बुमराह और सिराज के अलावा टीम के बाकी गेंदबाज भी इसीलिए टीम में क्योंकि वे भी बढ़िया गेंदबाज हैं । हमें अपने इन बाकी गेंदबाजों का समर्थन करना होगा क्योंकि यह केवल एक दौरे की बात नहीं। हमें तेज गेदबाजों की ऐसी बैटरी तैयार करनी जो कि भारत की टेस्ट क्रिकेट में लंबे समय तक सेवा कर सके। भले ही यह सवाल अभी भी है कि जिन दो टेस्ट में बुमराह नहीं खेलेंगे, उनमें भारत 20 विकेट कैसे निकालेगा। मेरे लिए बुमराह का वर्कलोड मैनेज करना ज़्यादा ज़रूरी है क्योंकि आगे बहुत क्रिकेट है। हमें मालूम है कि बुमराह हमारे लिए कितने अहम हैं। इंग्लैंड के इस दौरे पर आने से पहले ही तय हो गया था कि बुमराह मात्र तीन टेस्ट खेलेंगे, लेकिन अब देखते हैं कि उनका शरीर कैसा रहता है। अभी यह तय नहीं हुआ है कि बाकी कौन से दो टेस्ट वो खेलेंगे। हमारे पास अच्छा गेंदबाज़ी आक्रमण है और हमें उस पर भरोसा है। भले ही हमारे कई गेंदबाज अनुभवहीन हैं, लेकिन ये बेहतर होते जाएंगे। हमने पहले टेस्ट में भी देखा कि हम शुरू के चार दिन ही नहीं पांचवें दिन भी हम जीत की स्थिति में थे। हमें यकीन है कि हमारे ये मौजूदा खिलाड़ी हमें जीत दिला सकते हैं।मुझे लगता है तेज गेदबाज प्रसिद्ध कृष्णा ने अच्छी गेंदबाज़ी की। उन्होंने हमें अहम विकेट दिलाए। प्रसिद्ध को हमने इसीलिए चुना क्योंकि हमें लगा वह कुछ अलग हैं। और पहली पारी में उन्होंने उस बाउंस का अच्छा इस्तेमाल किया, दूसरी में भी। वह अनुभव के साथ बेहतर होंगे। उनके पास एक बेहतरीन गेंदबाज़ बनने के सारे गुण हैं, जैसा उन्होंने सिडनी टेस्ट के बाद लीडस में पहले टेस्ट में भी दिखाया। इसलिए हम इन लड़कों का समर्थन करते रहेंगे। जहा तक बात शार्दूल की है तो उनका इसलिए कुछ कम इस्तेमाल हुआ क्योंकि बाएं हाथ के स्पिनर रवींद्र जडेजा ने बेहतरीन गेंदबाज़ी की । शार्दूल ने हमें दो अहम विकेट दिलाए। हमें बस लगातार ऐसा प्रदर्शन करते रहना होगा और हमारे ये लड़के अनुभव के साथ सीखते जाएंगे।’

भारत के निचले क्रम के बल्लेबाजों का गंभीर ने बचाव करते हुए कहा,‘मेरा मानना है कि ऐसा नहीं था कि वे प्रयास नहीं कर रहे थे।कभी खिलाड़ी नाकाम भी होते हैं । मै मानता हूं कि यह निराशाजनक है। इससे खिलाड़ी संभवत: खु़द सबसे ज़्यादा निराश होंगे, क्योंकि वे जानते थे कि हमारे पास एक बड़ा मौक़ा था। अगर हम पहली पारी में 570-580 रन तक पहुंचते तो मैच पर हावी हो सकते थे। ऐसा नहीं है कि वे नेट्स में मेहनत नहीं कर रहे। कभी-कभी ऐसा हो जाता हैँ। यहां तक कि माहिर बल्लेबाज़ भी कभी नाकाम हो जाते हैं। उम्मीद है वे इससे सीखेंगे और आगे बेहतर योगदान देंगे। लेकिन यही एक वजह नहीं थी टेस्ट हारने की। कुछ और मौके भी थे जहां हम मैच जीत सकते थे। मैं यह नहीं कहूंगा कि सिर्फ निचले क्रम में आखिर के बल्लेबाजों के बल्ले से नाकाम रहने से हार हुई। शुभमन गिल का भारत के कप्तान के रूप में यह पहला टेस्ट मैच था और ऐसे उनमें कुछ बैचेनी बेशक थी । भारत की टेस्ट में कप्तानी वाकई बहुत बड़ा सम्मान है। बहुत कम लोगों को यह मौक़ा मिलता है और कप्तान शुभमन गिल ने शानदार खेल दिखाया। भारत की पहली बार कप्तानी करते हुए शतक लगाना कतई आसान नहीं था। शुभमन में एक कामयाब कप्तान बनने के सभी गुण हैं, लेकिन हमें उन्हें समय देना होगा। यह तो अभी आगाज है। शुभमन गिल पहली बार भारत के कप्तान बने हैं। मुझे यक़ीन है कि वह बेहतर होते जाएंगे। कप्तानी के लिए ये मुश्किल हालात हैं। यह किसी को सीधे गहरे समुद्र में फेंक देने का सा है।मुझे पूरा भरोसा है कि शुभमन बढ़िया टेस्ट कप्तान साबित होंगे।`